अहम् ब्रह्मास्मि | AHAM BRAHMĀSMI
- Aditya Tripathi
- Nov 18, 2022
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अहम् ब्रह्मास्मि का शाब्दिक अर्थ है – मैं ही ब्रह्म हूँ । ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ यजुर्वेद के बृहदारण्यक उपनिषद् का महावाक्य है।
The literal meaning of Aham Brahmāsmi is – I am Brahma. The ‘Aham Brahmāsmi’ is the Mahāvākya of the Brihadaranyaka Upanishad of the Yajur veda.
अगर इस महावाक्य को संधि विच्छेद कर के देखें तो इसके अनेक भावार्थ प्रकट होते हैं।
If we see this Mahāvākya by splitting the words, then there are many manifestations of it.
शब्दार्थ -> मैं
मैं शब्द यहाँ पर तीन चीजों को सम्बोधित कर रहा है; – शरीर, मन, और आत्मा।
Meaning – I, Self
Here I is referred for the body, for the Mind and also for the Soul or the Real Self.
ब्रह्म
वेद परम्परा के अनुसार, ब्रह्म इस सारे विश्व का परम सत्य है और जगत का सार है। यह वो ऊर्जा है जिसके कारण यह सम्पूर्ण विश्व की उत्पत्ति होती है, यही इस विश्व का कारण है। वो निराकार, अनन्त, नित्य और शाश्वत है। प्रायः मनुष्य ब्रह्म को ईश्वर समझ लेता है और अपनी परिकल्पना से उसको आकार दे देता है।
According to the Veda tradition, Brahma is the absolute truth of this whole world and the essence of the world. That is the energy due to which this entire world is created, That is the reason of this world. That is Formless, Infinite, Eternal and Perpetual. Often, man considers Brahma as God and gives shape to it through his vision.
अस्मि
अस्मि का अर्थ है – ‘हूँ’
*अस क्रिया का पहला व्यक्ति एकवचन वर्तमान काल
The word Asmi means – ‘ am’ or ‘to be’
the first-person singular present tense of the verb as (अस्)
अहम् ब्रह्मास्मि का भावार्थ इस पर निर्भर करता है कि आप अहम् से किसको सम्बोधित कर रहे हैं। मैं ही ब्रह्म हूँ। हमारे शरीर में वही ऊर्जा है जिससे इस विश्व की उत्पत्ति हुई है। सभी प्राणी, वस्तु आदि सब उसी ब्रह्म का ही भाग है।
जो भी चीज़ हम पाना चाहते हैं – सुख, शांति, बल, प्रेम आदि वह सब उसी ब्रह्म का ही भाग है और वह सब हमारे भीतर है। जिस तरह ब्रह्म सत्य है उसी तरह हम सत्य है और यह विश्व सत्य है।
हमें अपने आपको जानना होगा। अपने आपको जानने के कई स्तर होते हैं –
The meaning of Aham Brahmāsmi depends on whom you are addressing with ‘Aham’ (I). I am the Brahma. I am the Absolute Truth. We have the same energy inside us from which this world originated. All the things are the part of the same Brahma.
We have to know ourselves. There are many levels of awareness-
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